Maa Shayari
इस एहसान फरामोशों के मेले में,
एक दिल सच्चा सा चाहते है,
माँ के जैसा निस्वार्थ प्रेम करने वाला,
एक साथी हम सच्चा चाहते हैं।
चीख़ती है चिल्लाती भी है,
रोती भी है बिलखती भी है,
जब मेरी माँ ग़ुस्सा हो जाती है,
तो अपनी आँखों में आँसू लिए चुप-चाप सो जाती है।
यकीनन ईश्वर से बिलकुल कम नहीं है मेरी मां जनाब,
लफ्ज़ कम पड़ जाएंगे उनके एहसान लिखने लिखने।
जिस एक लफ्ज़ से है मेरी दुनिया सारी,
मुझे मेरा वो जहाँ फिर लौटा दे,
चाहे तो मेरी जिंदगी लेले ऐ खुदा,
बस मुझे मेरी प्यारी माँ लौटा दे।
तेरे ऎहसास से हम ग़म भूला जाते है,
तेरे होने से मेरे दुख सारे मिट जाते है,
तेरी प्यारी मुस्कुराहट से दिल भर जाते है,
तुझे दुनिया की हर ख़ुशी दूं यहीं मेरी तमन्ना है।
न इन आँखों में अब कोई ख्वाब है किसी के,
न इस दिल को अब किसी की ख्वाइश है,
तेरी गोद में कटे माँ मेरा अब हर लम्हा,
बस इतनी सी ही मेरी फरमाइश है।
बिना बताये ही वो हर बात जान जाती है,
वो माँ ही तो अपनी दोस्त बन जाती है,
गर हो कोई मुसीबत आये तो ढाल बन जाती है,
वो माँ ही जो दुआ बन जाती है।
माँ पर शायरी
जनाब मां का नाम लिखकर एक ग़ज़ल बना रहा हूं मै,
हां एक असल खुदा की सी शक़ल बना रहा हूं मैं,
उसने उपवास रखे है मेरे लिए कई बार,
उसी के हिस्से की बची हुई रोटियां खा रहा हूं मैं।
मैं क्यों न लिखूं मेरी माँ पर जिसने मुझें लिखा हैं,
मैंने इस दुनिया में सबसे पहले माँ बोलना ही सीखा हैं।
माँ तेरी करामात से है ज़िन्दगी मेरी,
माँ तेरी खिदमत में है ये बंदगी मेरी,
माँ तेरी हर दुआ में है फ़िक्र मेरी,
माँ तेरे कदमो में है ये जन्नत मेरी।
Mothers Day Shayari
बाबा के चले जाने के बाद माँ को पूरे घर की ज़िम्मेदारी उठाते देखा है,
कुछ इस तरहा मैंने माँ को भी मेरा बाप बनते देखा है।
सब कुछ लेने पर भी समर्पण करने का हुनर,
हमें अपने “पिता” से ही सीखना चाहिए,
और सब कुछ हार कर भी ये जग जित लेने का हुनर,
एक “माता” से बेहतर कोई नहीं सीखा सकता है।
जिस एक लफ्ज़ से है मेरी दुनिया सारी,
मुझे मेरा वो जहाँ वापस लौटा दे,
चाहे बदले में मेरी जिंदगी लेले खुदा,
बस मुझे मेरी माँ वापस लौटा दे।
बताया नही कभी उसे हमने अपने दिल का हाल फ़िर भी सब समझती है,
बचा लेती है जो हर बार मेरी डूबती हुईं कश्ती हाँ मेरी माँ ही वो हस्ती है।
Maa Shayari 2020
बहती है जो पवित्र गंगा धरातल से तो कभी पलकों तले,
अशुद्ध मन को शुद्व करती है जैसे बहती गंगा पावन भूमि तले,
विरक्त हो कर भी सबसे महादेव के हैं जटाओं में है बसती,
कभी माँ बन कर आँसू पोछती तो कभी बह जाती कभी पलकों तले।
परवाने की तरह हर दम बस आग मे ही जलते हैं ,
जो नज़रों से गिर गये वो मुश्किल से ही संभलते हैं,
ख़तरा और हादसात मेरे नज़दीक नहीं आते,
अपने माँ के कदम चूमकर हम घर से जो निकलते हैं।
किसी की नज़रों में मैं भले कम लगूँ ,
फर्क नहीं पड़ता मुझे कुछ ऐसा हुँ मैं,
हाँ जो खुद पे शक हो आये कभी तो,
बस अपनी माँ से पूछ लेता हुँ कि बता कैसा हूँ मैं।
घूमी है दुनिया देखे है मंदिर – मस्जिद,
मां से तो शुरु धर्म के सारे स्थान भी है,
माँ तेरे क़दमों में मेरी जन्नत और मेरा सम्मान भी है।
ममता की कोई जुबान नहीं होती हैं,
और माँ बाप के प्यार की होती तस्वीर नहीं होती हैं,
जिसको मिला है माँ बाप के चरणों की वो छाया,
उससे अच्छी कोई तकदीर नहीं होती हैं।
अपने खुद के बटुए से दस रुपये चुरा के रख लेता हूँ,
ऑफिस के टिफ़िन में से पराठा जैम चख लेता हूँ,
भागते भागते कहीं मैं कही दूर तो नहीं निकल आया,
माँ पिता को भूला नहीं कुछ यु ऐसे परख लेता हूँ।
जिसने मुझे ही लिखा उसके बारे में मैं क्या लिखूँ,
यही तमन्ना है मेरी उसे मैं सदा खुश रख सकू,
मुझे वो प्रसन्न दिखे और उसे मै मुस्कुराता दिखू,
जिसके ममता का कर्ज मै कभी न चुका सकूँ,
उस ममतामयी माँ के बारे में मैं अब क्या लिखूँ।
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