देसी शायरी एक अनोखी और मधुर विधा है, जो हमारे दिल की भावनाओं को सुंदर शब्दों में पिरोती है। यह शायरी हमारे जीवन के विभिन्न पहलुओं को स्पर्श करती है, चाहे वह प्रेम हो, दोस्ती हो, या जीवन की कठिनाइयाँ। देसी शायरी हमारे अनुभवों को अभिव्यक्त करने का एक प्रभावी माध्यम है और हमें एक दूसरे से जोड़ती है। इस संग्रह में आपको विभिन्न प्रकार की शायरी मिलेगी, जिसे आप व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम और फेसबुक पर शेयर कर सकते हैं। हमें उम्मीद है कि आपको यह शायरी का संग्रह पसंद आएगा और आपके दिल को छू लेगा।
देसी दबंग हिंदी शायरी
हमारी पहचान हमसे ही है,
किसी और से नहीं,
हम देशी हैं
हमें विदेशी बनने का कोई शौक नहीं।
हमारी पहचान हमसे ही है, किसी और से नहीं, हम देशी हैं हमें विदेशी बनने का कोई शौक नहीं।
देशी में जो बात है,
वो विदेशी में कहा,
अपनों में जो प्यार है,
वो परायों में कहा।
देशी में जो बात है, वो विदेशी में कहा, अपनों में जो प्यार है, वो परायों में कहा।
Desi Shayari 2 Line
- मंज़िल नहीं मुझे तो राह से मिलना है,
दुनिया के साथ किसे जीना है,
मुझे तो Attitude में जीकर शान से मरना है। - यह जो सर पर घमंड का ताज रखते हैं,
सुन लो दुनिया वालों हम इनके भी
Attitude में बाप लगते है। - देशी में जो बात है, वो विदेशी में कहा,
अपनों में जो प्यार है,वो परायों में कहा। - सुधरी हे तो बस मेरी आदते, वरना मेरे शौक,
वो तो आज भी तेरी औकात से ऊँचे हैं। - आदत नहीं है फ़ालतू बात करने की
और लोग इसे मेरी अकड़ समझ लेते है। - हम समंदर हैं, हमें खामोश ही रहने दो,
ज़रा मचल गये तो, शहर ले डूबेंगे। - जलने लगा है जमाना सारा,
क्योंकि चलने लगा है नाम हमारा। - हम तो दुश्मनी भी दुश्मन की औकात देख कर करते हैं,
बच्चों को छोड़ देते है और बड़ों को तोड़ देते हैं। - दौलत तो विरासत में मिलती है,
लेकिन पहचान अपने दम पर बनानी पड़ती है। - जिन्दगी जीते है हम शान से,
तभी तो दुश्मन जलते है हमारे नाम से।
बात लगाव और एहसास की है,
वरना कॉल और मैसेज तो
कम्पनी वाले भी करते है।
बात लगाव और एहसास की है, वरना कॉल और मैसेज तो कम्पनी वाले भी करते है।
हमे अपनी महफ़िलो में न बुलाया कर मेरे यार,
मुझे तो आज भी फर्स पर बैठ कर खाने की आदत है।
हमे अपनी महफ़िलो में न बुलाया कर मेरे यार, मुझे तो आज भी फर्स पर बैठ कर खाने की आदत है।
देशी व्यक्तित्व है और देशी बातें हैं हमारी,
हिंदी आती है हमें अंग्रेजी कमजोर है हमारी।
देशी व्यक्तित्व है और देशी बातें हैं हमारी, हिंदी आती है हमें अंग्रेजी कमजोर है हमारी।
देसी शायरी इन हिंदी
तू शहर की पढ़ी लिखी लड़की,
में छोरा गांव का गवार,
तू चलाती हैं स्कूटी,
में रहता बुलेट पे सवार।
तू शहर की पढ़ी लिखी लड़की, में छोरा गांव का गवार, तू चलाती हैं स्कूटी, में रहता बुलेट पे सवार।
कुछ भी हो असली सुकून तो गांव में ही मिलता है,
क्योंकि यहां लोग और खाना दोनों असली मिलते हैं।
कुछ भी हो असली सुकून तो गांव में ही मिलता है, क्योंकि यहां लोग और खाना दोनों असली मिलते हैं।
शाखाओं से टूट जाए वो पत्ते नहीं हैं हम,
इन आँधियों से कह दो
ज़रा अपनी औकात में रहे।
शाखाओं से टूट जाए वो पत्ते नहीं हैं हम, इन आँधियों से कह दो ज़रा अपनी औकात में रहे।
गांव से हूँ गवार मत समझना,
सुन्दर नही हूँ इतना,
पर दिल का बेकार मत समझना।
गांव से हूँ गवार मत समझना, सुन्दर नही हूँ इतना, पर दिल का बेकार मत समझना।
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देसी सूँ , गवार नी!
माँई-बापू का लाल सूँ ,
किसी पापा की परी का गुलाम नी।
देसी सूँ , गवार नी! माँई-बापू का लाल सूँ , किसी पापा की परी का गुलाम नी।
गांव का छोरा स्टेटस
कदम वही थम जाते है हुजूर,
जहाँ कोई कह देता है,
रुकिए जरा चाय पी लीजिये।
कदम वही थम जाते है हुजूर, जहाँ कोई कह देता है, रुकिए जरा चाय पी लीजिये।
होते हैं आस-पास ही लेकिन साथ नहीं होते,
कुछ लोग जलते हैं मुझसे बस ख़ाक नहीं होते।
होते हैं आस-पास ही लेकिन साथ नहीं होते, कुछ लोग जलते हैं मुझसे बस ख़ाक नहीं होते।
अजब रिवाज़ हैं मेरे मुल्क के यारों,
अमीरों पर टैक्स नहीं गरीबों पर रहम नहीं।
अजब रिवाज़ हैं मेरे मुल्क के यारों, अमीरों पर टैक्स नहीं गरीबों पर रहम नहीं।
बदलना फितरत हो गई इंसान की वक्त पर,
अपने अच्छे वक्त पर,
दूसरो के बुरे वक्त पर।
बदलना फितरत हो गई इंसान की वक्त पर, अपने अच्छे वक्त पर, दूसरो के बुरे वक्त पर।
देसी काढ़े में ही मिलता,
सूप-वूप में क्या मज़ा है
तू क्या जाने छाँव ढूढने वाले धूप में क्या मज़ा है।
देसी काढ़े में ही मिलता, सूप-वूप में क्या मज़ा है तू क्या जाने छाँव ढूढने वाले धूप में क्या मज़ा है।
देसी लुक शायरी
मिल सके आसानी से
उसकी ख्वाहिश किसे है,
ज़िद तो उसकी है
जो लकीरों में लिखा ही नही।
मिल सके आसानी से उसकी ख्वाहिश किसे है, ज़िद तो उसकी है जो लकीरों में लिखा ही नही।
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मुझ से दोस्त नहीं बदले जाते
चाहे हो लाख दूरी,
यहां लोग भगवान बदल देते है,
बस एक मुराद पूरी न होने पर।
मुझ से दोस्त नहीं बदले जाते चाहे हो लाख दूरी, यहां लोग भगवान बदल देते है, बस एक मुराद पूरी न होने पर।
आख़िर तुम भी उस
आइने की तरह ही निकले,
जो भी सामने आया
तुम उसी के हो गए।
आख़िर तुम भी उस आइने की तरह ही निकले, जो भी सामने आया तुम उसी के हो गए।
खता बस इतनी है अपनी,
सादे देशी और नादान है हम,
और कोई अपना जुर्म नही।
खता बस इतनी है अपनी, सादे देशी और नादान है हम, और कोई अपना जुर्म नही।
समझने के लिए दिल नही दिमाक चाहिए,
जिनको हमसे आपत्ति हो वो हमसे दूर रहिए।
समझने के लिए दिल नही दिमाक चाहिए, जिनको हमसे आपत्ति हो वो हमसे दूर रहिए।
गांव का देसी छोरा शायरी
जब गाँव मे मकान नहीं कच्चे घर हुआ करते थे,
जो गर्मी में ठंडे और सर्दियो में गर्म हुआ करते थे।
जब गाँव मे मकान नहीं कच्चे घर हुआ करते थे, जो गर्मी में ठंडे और सर्दियो में गर्म हुआ करते थे।
एक बार दिल से उतर जाने वाले लोग,
सामने खड़े रहे तो भी नजर नहीं आते।
एक बार दिल से उतर जाने वाले लोग, सामने खड़े रहे तो भी नजर नहीं आते।
हम देशी है मैडम,
हमे पिज़्ज़ा बर्गर नहीं
दाल रोटी अच्छी लगती है।
हम देशी है मैडम, हमे पिज़्ज़ा बर्गर नहीं दाल रोटी अच्छी लगती है।
मेरे गांव की मिट्टी से भरता है तेरे शहर का पेट,
और तेरे शहर वाले गाँव वालों को गवार कहते हैं।
मेरे गांव की मिट्टी से भरता है तेरे शहर का पेट, और तेरे शहर वाले गाँव वालों को गवार कहते हैं।
तुम तो डर गए एक ही कसम से,
हमे तो तुम्हारी कसम
देकर हजारो ने लुटा है।
तुम तो डर गए एक ही कसम से, हमे तो तुम्हारी कसम देकर हजारो ने लुटा है।
देसी दबंग हिंदी शायरी
मैं शिकायते भी किससे करूँ,
सब किस्मतों की बात है,
तेरी सोच में भी नहीं हूँ मैं,
मुझे लफ्ज़ लफ्ज़ तू याद हैं।
मैं शिकायते भी किससे करूँ, सब किस्मतों की बात है, तेरी सोच में भी नहीं हूँ मैं, मुझे लफ्ज़ लफ्ज़ तू याद हैं।
मेरी आँखों में आँसू नहीं,
बस कुछ नमी है,
वजह तू नहीं, तेरी ये कमी है।
मेरी आँखों में आँसू नहीं, बस कुछ नमी है, वजह तू नहीं, तेरी ये कमी है।
हक तो इतना है कि मैं तुझे तुझसे चुरा लू,
पर क्या है ना कि मुझे चोरी आती नहीं।
हक तो इतना है कि मैं तुझे तुझसे चुरा लू, पर क्या है ना कि मुझे चोरी आती नहीं।
तुम नई विदेशी मिक्सी हो,
मैं पत्थर का सिलबट्टा हूँ,
तुम AK47 जैसी,
मैं तो एक देसी कट्टा हूँ।
तुम नई विदेशी मिक्सी हो, मैं पत्थर का सिलबट्टा हूँ, तुम AK47 जैसी, मैं तो एक देसी कट्टा हूँ।
जो सुकून नही मिला मुझे विदेशी जूतों में,
वो सुकून मिला मेरी बूढ़ी माँ की हवाई चप्पलों में।
जो सुकून नही मिला मुझे विदेशी जूतों में, वो सुकून मिला मेरी बूढ़ी माँ की हवाई चप्पलों में।
देशी बालक शायरी
बचपन हमारा अपने सपनों
को मुट्ठी में करने का था,
अब तो हम शुद्ध देसी बेरोजगार है।
बचपन हमारा अपने सपनों को मुट्ठी में करने का था, अब तो हम शुद्ध देसी बेरोजगार है।
मैं मटके का पानी प्रिये,
तू बिसलेरी की बोतल प्रिये।
मैं मटके का पानी प्रिये, तू बिसलेरी की बोतल प्रिये।
कि टूट के बिखर जाऊं
मोतियों की माला नहीं हूं मैं,
तुझे घुटने टेकनेपर मजबूर कर दूंगा,
यूपी वाला हूं मैं।
कि टूट के बिखर जाऊं मोतियों की माला नहीं हूं मैं, तुझे घुटने टेकनेपर मजबूर कर दूंगा, यूपी वाला हूं मैं।
तुम नहीं समझोगे जनाब कंधे
पर गमछे की अहमियत,
मशहूर है गाँव में मेरे देशी होने के चर्चे।
तुम नहीं समझोगे जनाब कंधे पर गमछे की अहमियत, मशहूर है गाँव में मेरे देशी होने के चर्चे।
तू Modern शहर की छोरी,
मैं गांव का Simple छोरा प्रिये,
मैं Cute देशी Munda,
तू Attitude वाली प्रिये।
तू Modern शहर की छोरी, मैं गांव का Simple छोरा प्रिये, मैं Cute देशी Munda, तू Attitude वाली प्रिये।
मैं पत्र करता हूँ देशी में,
वो Reply करती है विदेशी में।
मैं पत्र करता हूँ देशी में, वो Reply करती है विदेशी में।
अब टूट गया है दिल बवाल क्या करे,
खुद ही किया था पसंद सवाल क्या करें।
अब टूट गया है दिल बवाल क्या करे, खुद ही किया था पसंद सवाल क्या करें।
उड़ा देती है नींद कुछ ज़िम्मेदारियां
वरना
देर रात तक जागने वाला
हर इंसान आलसी नही होता।
उड़ा देती है नींद कुछ ज़िम्मेदारियां वरना देर रात तक जागने वाला हर इंसान आलसी नही होता।
आपके शहरों में इंसान बसते है,
मेरे गांव में इंसानियत।
आपके शहरों में इंसान बसते है, मेरे गांव में इंसानियत।
तेरा होना ही मेरे लिए खास है,
तु दूर ही सही मगर मेरे पास है।
तेरा होना ही मेरे लिए खास है, तु दूर ही सही मगर मेरे पास है।
आखिरकार उसके दिल में जगह बना ही ली,
बस प्यार की जगह नफऱत है।
आखिरकार उसके दिल में जगह बना ही ली, बस प्यार की जगह नफऱत है।
मुसीबतों, ज़िल्लतों से भरा
तू अपने शहर को समझना,
मेरा गाँव तो खजाना है
शुकून-ए-जन्नत से भरा।
मुसीबतों, ज़िल्लतों से भरा तू अपने शहर को समझना, मेरा गाँव तो खजाना है शुकून-ए-जन्नत से भरा।
क्या है सवाल तेरा जिसका मै जवाब दू,
एक पल आंखो में देख मेरी सबका हिसाब दू।
क्या है सवाल तेरा जिसका मै जवाब दू, एक पल आंखो में देख मेरी सबका हिसाब दू।
मुमकिन नहीं की वो बेखबर हो जज़्बात से मेरे,
बात दिल कि है दिल तक तो जाती ही होगी।
मुमकिन नहीं की वो बेखबर हो जज़्बात से मेरे, बात दिल कि है दिल तक तो जाती ही होगी।
खैरात में मिली हुई खुशी हमें पसंद नहीं,
क्योंकि हम गम में भी नवाब की तरह रहते है।
खैरात में मिली हुई खुशी हमें पसंद नहीं, क्योंकि हम गम में भी नवाब की तरह रहते है।
चाहे! कितने ही महँगे होटलों में खाना खा लो,
मगर जो स्वाद चूल्हें की रोटियों में है वो और कहीं नहीं।
चाहे! कितने ही महँगे होटलों में खाना खा लो, मगर जो स्वाद चूल्हें की रोटियों में है वो और कहीं नहीं।
है दफ़न मुझमें कितनी रौनक़ें मत पूछ,
हर बार उजड़ के भी बसता रहा वो शहर हूँ मैं।
है दफ़न मुझमें कितनी रौनक़ें मत पूछ, हर बार उजड़ के भी बसता रहा वो शहर हूँ मैं।
गलतियां भी होगी और गलत भी समझा जाएगा,
यह ज़िन्दगी हैं जनाब यहां तारीफें भी होगी और कोसा भी जाएगा।
गलतियां भी होगी और गलत भी समझा जाएगा, यह ज़िन्दगी हैं जनाब यहां तारीफें भी होगी और कोसा भी जाएगा।
गाँव और शहर के लोगों मे बस उतना
ही फर्क होता है जितना कि
धरती और गमले
मे उगे पौधौ मे होता हैं।
गाँव और शहर के लोगों मे बस उतना ही फर्क होता है जितना कि धरती और गमले मे उगे पौधौ मे होता हैं।
बरेली का झुमका और लहेंगा चोली,
पहने जब क्या लगती है देशी छोरी।
बरेली का झुमका और लहेंगा चोली, पहने जब क्या लगती है देशी छोरी।
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