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Narazgi Shayari
मेरी नाराज़गी को मेरी |
मेरी नाराज़गी को मेरी बेवफ़ाई मत समझना, नाराज़ भी उसी से होते है जिससे बेइंतिहा मोहब्बत हो।
खामोशियां ही बेहतर हैं, |
खामोशियां ही बेहतर हैं, शब्दों से लोग नाराज़ बहुत हुआ करते हैं।
कुछ नाराज़गी सिर्फ गले लगने से ही दूर होती हैं, |
कुछ नाराज़गी सिर्फ गले लगने से ही दूर होती हैं, समझने समझाने से नहीं।
बेशक मुझपे गुस्सा करने का हक है तुम्हे, |
बेशक मुझपे गुस्सा करने का हक है तुम्हे, पर नाराजगी में हमारा प्यार मत भूल जाना।
नाराज़गी हो तो जता लेना, |
नाराज़गी हो तो जता लेना, लेकिन नफ़रत न करना, चाहत किसी और हो जाएं तो बता देना, बस बेवफाई न करना।
नाराजगी शायरी 2 लाइन
जब से तुमने रुठे को मनाना छोड़ा दिया, |
जब से तुमने रुठे को मनाना छोड़ा दिया, तब से हमने खुदा से भी नाराज होना छोड़ दिया।
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किसी को मनाने से पहले ये जान लेना |
किसी को मनाने से पहले ये जान लेना कि वो तुमसे नाराज है या परेशान।
किस बात पर खफा हो, |
किस बात पर खफा हो, यह जरूर बता देना। अक्सर दिल में छुपी नाराजगी से, रिश्तों की डोर कमजोर हो जाती है।
रिश्ते दूर तक चलते अगर, |
रिश्ते दूर तक चलते अगर, नाराजगी की उम्र कम हो।
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तेरी बात को खामोशी से मान लेना, |
तेरी बात को खामोशी से मान लेना, ये भी अंदाज है मेरी नाराज़गी का।
Naraz Shayari
निकाल दिए गए कुछ दिलों से,उन्हें हमसे गीला भी नहीं, |
निकाल दिए गए कुछ दिलों से,उन्हें हमसे गीला भी नहीं, और एक हम हैं के कबसे ज़हेन में नाराजगी लिए बैठे हैं।
तेरी नाराज़गी, मेरी दीवानगी, |
तेरी नाराज़गी, मेरी दीवानगी, चल देखें किसकी उम्र ज्यादा है।
देखो नाराज़गी मुझसे ऐसे भी जताती हैं वो, |
देखो नाराज़गी मुझसे ऐसे भी जताती हैं वो, छुपाती भी कुछ नही जताती भी कुछ नही।
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तुम मेरी कल थी, |
तुम मेरी कल थी, और मैं आज हो गया हूं | अब मैं मनाने नहीं आऊंगा, क्योंकि मैं नाराज हो गया हूं।
नखरे तेरे, नाराजगी तेरी, |
नखरे तेरे, नाराजगी तेरी, देख लेना! एक दिन जानले लेगी मेरी।
Shayari on Narazgi
जैसे मैं तुम्हारी हर नाराजगी समझता हूं, |
जैसे मैं तुम्हारी हर नाराजगी समझता हूं, काश वैसे हीतुम मेरी सिर्फ एक मजबूरी समझते।
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मेरी फितरत में नहीं है किसी से नाराज होना, |
मेरी फितरत में नहीं है किसी से नाराज होना, नाराज वो होते हैं जिनको अपने आप पर गुरुर होता है।
नाराज हूँ मैं उससे उसने मनाया भी नहीं, |
नाराज हूँ मैं उससे उसने मनाया भी नहीं, वो लोगों से कहता फिरता है बेवफा हूँ मैं।
नाराज़गी उनसे भले बेशुमार रहती है, |
नाराज़गी उनसे भले बेशुमार रहती है, पर उन्हें देखने की चाहत बरकरार रहती हैं।
आज मौसम भी कमबख्त खुशमिज़ाज है, |
आज मौसम भी कमबख्त खुशमिज़ाज है, क्या करे अब हमारा यारा थोड़ा नाराज है।
नाराज शायरी
मुद्दतों से था जो नाराज़ मुझसे, |
मुद्दतों से था जो नाराज़ मुझसे, आज वही मुझसे मेरी नाराजगी की वजह पूछता है।
सुनों ना! |
सुनों ना! कभी कभी मेरा मन भी नाराज होने का करता हैं, पर ये सोच के खुश हो जाते हैं मनाएगा कौन।
आज कुछ लिख नही पा रहा, |
आज कुछ लिख नही पा रहा, शायद कलम को मुझसे नाराजगी हैं कोई।
हमें नहीं भाता तेरा किसी और को ताकना, |
हमें नहीं भाता तेरा किसी और को ताकना, फक़त नाराज़गी भी रखिए तो सिर्फ हमसे।
शिकायतें करनी छोड़ दी हैं मैंने उससे, |
शिकायतें करनी छोड़ दी हैं मैंने उससे, जिसे फर्क मेरे आँसुओं से नहीं पड़ता, मेरे नाराजगी से क्या होगा।
वे उम्र भर करते रहे इन्तेज़ार के कोई पैगाम आए मेरा, |
वे उम्र भर करते रहे इन्तेज़ार के कोई पैगाम आए मेरा, और वो समझ बैठे थे के नाराज हैं हम उनसे।
Naraj Shayari
एक नाराज़गी सी है जहन में जरुर, |
एक नाराज़गी सी है जहन में जरुर, पर मैं खफ़ा किसी से नहीं।
यूँ तो हम रोज तुम्हे याद करते है, |
यूँ तो हम रोज तुम्हे याद करते है, दौर नाराजगी का ख़त्म हो फिर बात करते है।
नाराज़ ना होना हमारी बेमतलब की शायरियों से क्योंकि, |
नाराज़ ना होना हमारी बेमतलब की शायरियों से क्योंकि, इन्ही हरकतों से हम हमेशा आपको याद आयेंगे।
नाराज़गी जायज़ है तुमसे, |
नाराज़गी जायज़ है तुमसे, मगर नफ़रत मुमकिन नही।
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