Alfaaz Shayari In Hindi We are sharing the latest collection of Khamosh Alfaaz Par Shayari with Images. Find the best नई अल्फ़ाज़ शायरी इन हिंदी Photos, Messages, Quotes, Status, Videos on our blog. Feel free to Download and share them on WhatsApp, Facebook, Instagram.
Alfaaz Shayari
अल्फ़ाज़ नही मिले |
अल्फ़ाज़ नही मिले ससे मिलने के बाद, अपने दिल का हाल कहे बिना ही लौट आया।

न अहसास बचे हैं, |
न अहसास बचे हैं, न अल्फ़ाज़ बचे हैं, खो गयी है मुस्कान, बस राज़ बचे हैं।

Alfaaz Shayari in hindi
- हम अल्फाजो से खेलते रह गए,
और वो दिल से खेल के चली गयी। - एक उम्र कटी दो अलफ़ाज़ में,
एक आस मे एक काश में। - एक उमर बीत चली है तुझे चाहते हुए,
तू आज भी बेखबर है कल की तरह। - फासले रख के क्या हासिल कर लिया तूने,
रहती तो आज भी तू मेरे दिल में ही है। - कुछ उसे भी दूरियाँ पसंद थीं,
और कुछ मैंने भी वक़्त मांगना छोड़ दिया। - न अहसास बचे हैं,
न अल्फ़ाज़ बचे हैं,
खो गयी है मुस्कान,
बस राज़ बचे हैं। - चलो माना कि हमें प्यार
का इज़हार करना नहीं आता,
जज़्बात न समझ सको
इतने नादान तो तुम भी नहीं। - शायर है हम शराबी नहीं,
जब तक चाय नहीं पीते,
अल्फाज पन्नों पर नहीं बरसते। - मत लगाओ बोली
अपने अल्फ़ाज़ों की,
हमने लिखना शुरू किया
तो तुम नीलाम हो जाओगे। - अब ये न पूछना की मैं
अल्फ़ाज़ कहाँ से लाता हूँ,
कुछ चुराता हूँ दर्द दुसरो के
कुछ अपनी सुनाता हूँ।
दिल के जज्बातों को अल्फाजों |
दिल के जज्बातों को अल्फाजों में बयाँ करना पड़ता है, अब वो मोहब्बत नहीं जो जज्बातों को समझ सके।

मेरे लब्जो ने आज फिर |
मेरे लब्जो ने आज फिर ये कैसी शरारत की है, नैनो से तुझको खोजा मगर अल्फाजों से गुस्ताखी की है।

अब ये न पूछना की मैं |
अब ये न पूछना की मैं अल्फ़ाज़ कहाँ से लाता हूँ, कुछ चुराता हूँ दर्द दुसरो के कुछ अपनी सुनाता हूँ।

अल्फ़ाज़ शायरी इन हिंदी
न चाकू, न खंजर, |
न चाकू, न खंजर, न तलवार कर सकेंगे, रकीब के दिल में घाव मेरे लिखे अल्फाज़ करेंगे।

अल्फ़ाज़ थक से गए हैं |
अल्फ़ाज़ थक से गए हैं दर्द बयाँ करते करते, आज मेरी ख़ामोशी ने अल्फ़ाज़ की जगह ली है।

अल्फ़ाज़ के दिवाने तो लाखों हैं मेरे, |
अल्फ़ाज़ के दिवाने तो लाखों हैं मेरे, तलाश तो खामोशी पढने वाले की है।

अक्सर अल्फ़ाज़ खामोश हो जाते हैं वहा, |
अक्सर अल्फ़ाज़ खामोश हो जाते हैं वहा, जहा बाते निगाहों से शुरु होती हैं।

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प्यार की तरह आधे अधूरे |
प्यार की तरह आधे अधूरे से अल्फाज थे हम, तुमसे क्या जुड़े जिंदगी पूरी तरह गजल बन गई।

Two Line Alfaaz Shayari
उठा के कलम कुछ यूं लिखा है उसे, |
उठा के कलम कुछ यूं लिखा है उसे, मैंने दर्द नही हर अल्फाज़ मे लिखा है उसे।

यूँ ना समझ पाओगे |
यूँ ना समझ पाओगे अल्फाज़ो को मेरे, मेरी शायरियां समझने के लिए दिल तुड़वाना पड़ता हैं।

इतने सस्ते भी नहीं अल्फ़ाज़ मेरे, |
इतने सस्ते भी नहीं अल्फ़ाज़ मेरे, जज़्बातों की कीमत चुकाई हैं।

अल्फ़ाज़ उतने झूठ न |
अल्फ़ाज़ उतने झूठ न कह सके आज तक, जितने सच आंखें एक नज़र भर में कह गयीं।

मेरे अल्फाज भी खामोश |
मेरे अल्फाज भी खामोश हो जाते हैं कभी कभी, स्याही बिखरती है मगर एहसास रह जाते हैं कभी कभी।

Khamosh Alfaaz Shayari
वो ढूंढते हैं इश्क मेरे |
वो ढूंढते हैं इश्क मेरे अल्फ़ाज़ के दायरों में, नहीं समझते कि खामोश मोहब्बत क्या है।

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दिल की बात अल्फ़ाज़ों |
दिल की बात अल्फ़ाज़ों से किया करता हूँ, लोगों की जुबां पे नहीं दिलों में रहा करता हूँ।

बिखेर अल्फ़ाज़ खुद |
बिखेर अल्फ़ाज़ खुद को समेट लेता हूँ, कुछ इस तरह मैं खुश हो लेता हूँ।

मेरे दिल से हो या तेरे दिल से हो, |
मेरे दिल से हो या तेरे दिल से हो, प्यार के अल्फ़ाज़ निकलने चाहिए।

यहाँ कुछ लोग पसंद |
यहाँ कुछ लोग पसंद करने लगे हैं अल्फ़ाज़ मेरे, मतलब मोहब्बत में बर्बाद और भी हुए हैं।

Alzfaaz Shayari 2 Lines
मेरा अनकहा अल्फाज |
मेरा अनकहा अल्फाज भी समझ जाती है, एक माँ ही है जो मुझको मुझसे बेहतर समझ पाती है।

जब तक अल्फाज मेरे महसूस ना होंगे, |
जब तक अल्फाज मेरे महसूस ना होंगे, मोहब्बत के परिंदे रूह कैसे छूं पाएंगे।

अल्फाज लिए फिरता हूं |
अल्फाज लिए फिरता हूं अहसासों की मंडी में, कागज काले करता हूं इंसानों की बस्ती में।

एक उम्र कटी दो अल्फाज में, |
एक उम्र कटी दो अल्फाज में, एक आस में, एक काश में।

दबे अल्फाजों को आवाज देकर, |
दबे अल्फाजों को आवाज देकर, मानो खुदको खुदसे रिहा कर आऐ हम।

Alfaz Shayari in hindi
ना अल्फाज झूठे होते है, |
ना अल्फाज झूठे होते है, ना शब्दो के अंदाज झूठे होते है, लिख हुई हर बात में, कुछ सच्चे जज्बात छुपे होते है।

अल्फाज तो मेरे अपने है साहब, |
अल्फाज तो मेरे अपने है साहब, लेकिन इन अल्फाजो के पीछे कोई और है।

तमाम अल्फाज के |
तमाम अल्फाज के मायने ही बदल गए, वह अपने चेहरे पर सो गई किताब रखकर।

ये लिखे हुए अल्फाज ही तो |
ये लिखे हुए अल्फाज ही तो मुझे मेरे होने का सबूत देते है, वरना इस रूह को अपने रूह की खबर कहाँ।

लिखे हुए अल्फाज तो |
लिखे हुए अल्फाज तो सभी पढ़ते है साहब, कोई खामोशी समझने वाला भी चाहिए।

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